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18 Mar 2020 · 1 min read

ऐ चंदा तू जाकर बदलियों में छुप जा

है खुशबू हवाओं में वो आ रही है
चला जा ऐ भंवरे तू कलियों में छुप जा
शरम से कहीं लौट जाए न प्रियतम
ऐ चंदा तू जाकर बदलियों मे छुप जा

बहुत खूबसूरत है वो अप्सरा सी
अगन को समेटे है प्यासी धरा सी
मद्धम हवाओं में बल खा रही है
बिंदिया गजब माथ पर ढा रही है

चुरा ले कहीं न तेरा रंग मौसम
चली जा तू जाकर तितलियों में छुप जा

मुझे कर रही थी वो भीतर से घायल
रुनझुन झनकती हुई उसकी पायल
पावन लगे जैसे गंगा का पानी
आँखो से काजल करे छेड़खानी

नजर न जमाने की लग जाए तुझको
पलक बंद कर लूँ पुतलियों में छुप जा

है सिंदूरी चेहरा गुलाबी अधर हैं
हँसे तो बिखर जाते सरगम के स्वर हैं
हैं आखें यूँ जैसे कि रोशन दिवाली
मिली है अरुणिमा से होठों को लाली

तुझे छू सकेगा नहीं और कोई
मेरे बाजुओं की तू गलियों में छुप जा

Language: Hindi
Tag: गीत
449 Views
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