*ऐसे विकास न करिओ*
ऐसे विकास न करिओ
मजहब जाति धर्म की मीनारें इतने ऊंची न करिओ,,
थोड़ा दिल दिमाग भी रखना सिर्फ जेहादी न करिओ,,
मरना जीना जीवन का अंग जो होगा एक दिन सबका,,
पर किसी के बहके बोलो से कोई हे मारो खुद न मरिओ,,
मानव की संतान बनो तो मानव का सम्मान करो तुम,,
रंगों की जंगो की खातिर ये दुनिया बदरंगी न करिओ,,
इस फतुर को निकाल फेंको अपने शातिर जहन से तुम,,
दीप सा जलो हरो तम जग का तुम दावानल न जरिओ,,
मन के भीतर मीत है बैठा बाहर कुछ बहुत तनातनी है,,
फलों मीठे फल से फलना खट्टे फ़िक्के फल न फ़रिओ,,
मानक लाल मनु,,,,,