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7 Jun 2023 · 1 min read

ऐसे भाव भर दिए तुमने

ऐसे भाव भर दिए तुमने, हर पीड़ा मधुमय लगती है।

सहता हूॅं ठोकरें अहर्निश
लेकिन आह नहीं भरता हूॅं
मैं शूलों को फूल मानकर
राहें नई रचा करता हूॅं
जन्मा है बुद्धत्व हृदय में, हार-जीत अभिनय लगती है।
ऐसे भाव भर दिए तुमने, हर पीड़ा मधुमय लगती है।।

तुमको पाकर लगा कि जैसे
मेरा सोया भाग्य जगा है
अब तक वशीभूत रख मन को
मायाविनि ने मुझे ठगा है
कृपा तुम्हारी मिलते ही अब, मुझ पर नियति सदय लगती है।
ऐसे भाव भर दिए तुमने, हर पीड़ा मधुमय लगती है।।

नई चेतना, नव बल पाकर
भूल गया हर बात पुरानी
शपथपूर्वक कहता हूॅं मैं
नहीं करूॅंगा अब नादानी
तुम मेरे जीवनाधार हो, तव छवि मंगलमय लगती है।
ऐसे भाव भर दिए तुमने, हर पीड़ा मधुमय लगती है।।

— महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
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