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7 May 2024 · 1 min read

ऐसे प्रश्न कई है

ऐसे प्रश्न कई हैं
*************”******”*************

ऐसे प्रश्न कई हैं जिनका उत्तर मेरे पास नहीं है

तुमको मुझ पर मुझको खुद पर अब शायद विश्वास नही है
,
शिशु ने सहज भाव से पूछा

,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहां नहीं धरती पर अंबर

कैसे मैं उसको समझाता

,,,,,,,,,,,,,,,,,, प्रश्न तुम्हारा सचमुच दुष्कर

वरद हस्त जिसके मस्तक पर नहीं रहा मां और पिता का

समझो उसे अभागा उसकी धरती पर आकाश नहीं है

ऐसे प्रश्न कई हैं जिनका उत्तर मेरे पास नहीं है

कवि ने पूछा क्या अंतर है

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, भंवरे में और गुबरीले में

मुझे लगा जो है यथार्थ में

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, और काल्पनिक सपनीले में

एक सतत श्रम से जीवित है और दूसरा पराश्रयी है

वह है महज बोझ उपवन पर उसको यह आभास नहीं है

ऐसे प्रश्न कई हैं जिनका उत्तर मेरे पास नहीं है

मुझसे मेरे मन ने पूछा

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, क्या है अपना और पराया

मुझे लगा बस वह अपना है

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, काम समय पर जो भी आया

जिसने कोरे आश्वासन दें विदा किया भूखे याचक को

उसका है मनुजत्व अधूरा उससे कोई आस नहीं है

ऐसे प्रश्न कई हैं जिनका उत्तर मेरे पास नहीं है

तुमको मुझ पर मुझको खुद पर अब शायद विश्वास नहीं है
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव

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