ऐसे नाराज़ अगर, होने लगोगे तुम हमसे
ऐसे नाराज अगर, होने लगोगे तुम हमसे।
कैसे खुश रह सकेंगे हम, जरा यह भी तुम सोचो।।
बात गर कहने की होगी, मगर कैसे कहेंगे हम।
कैसे मालूम होगा हाल ,जरा यह भी तुम सोचो।।
ऐसे नाराज अगर होने ——————-।।
हमको आता नहीं है, ऐसे खामोश रहना।
बैठा हो पास कोई तो, ऐसे चुपचाप रहना।।
जबकि तुम तो नहीं हो, अपरिचित हमसे।
होगा किसको हमपे शक, जरा यह भी तुम सोचो।।
ऐसे नाराज अगर होने ——————।।
देखों इन फूलों का हँसना, इनसे हँसना सीखो।
मौजों- बहारों की तरहां, तुम भी रहना सीखो।।
होगा दिल से दूर गम, बात मेरी यह मानो।
खर्च क्या होगा तुम्हारा, जरा यह भी तुम सोचो।।
ऐसे नाराज अगर होने ——————।।
तुमको अपना मानते हैं, इसलिए करते हैं तारीफ।
करते हैं प्यार हम तुमको, इसलिए तेरे हैं आशिक।।
यकीन कैसे नहीं हम पर, हमको यह साफ बताओ।
कितने बदनाम होंगे हम, जरा यह भी तुम सोचो।।
ऐसे नाराज अगर होने ——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)