ऐसे क्यों सताते हो
बहुत हो गया अब तो
हर पल रुलाते हो
देखकर आंखों में मेरी
क्यों नहीं बताते हो
ऐसे क्यों सताते हो
प्यार जो है दिल में
क्यों नहीं जताते हो।।
जज्बातों को अपने
क्यों तुम दबाते हो
प्यार नहीं है तुमको
ऐसा हमको दिखाते हो
ऐसे क्यों सताते हो
प्यार जो है दिल में
क्यों नहीं जताते हो।।
आते हो जब भी मिलने
जल्दी से चले जाते हो
बात अपने दिल की तुम
अधूरी छोड़ जाते हो
ऐसे क्यों सताते हो
प्यार जो है दिल में
क्यों नहीं जताते हो।।
देखते हो पलभर मुझे
फिर आंखें चुरा जाते हो
मुस्कुराहट की आड़ में
अपने आंसू छुपा जाते हो
ऐसे क्यों सताते हो
प्यार जो है दिल में
क्यों नहीं जताते हो।।
मानकर अपना हमें
औरों से क्यों छुपाते हो
सबके सामने तुम हमें
दोस्त कहकर ही बुलाते हो
ऐसे क्यों सताते हो
प्यार जो है दिल में
क्यों नहीं जताते हो।।