ऐसे क्यों मुझे तड़पाते हो
ऐसे क्यों मुझे तड़पाते हो,
ऐसे क्यों मुझे तरसाते हो।
आ गए हो जब मेरे निकट,
फिर क्यों तुम शरमाते हो।।
रात चांदनी जब जब होती,
चंदा के संग चांदनी है होती।
उनको देख कर मेरा मन भी,
मेरी इच्छा भी प्रबल है होती।।
उमड़ घुमड़ जब मेघा गरजते,
मेरा संदेशा तुम तक पहुंचाते।
सुनकर संदेशा मेरा तुम साजन,
मेरे पास क्यों नही तुम आते ?
बूंदे जब मेरे तन पर गिरती,
मिलन की इच्छा मेरी करती।
रह जाती हूं प्यासी की प्यासी,
मेरी इच्छा क्यो नही पूरी होती ?
सावन मेरा सूखा चला गया,
मनवा मेरा भूखा रह गया।
ऐसे में क्या करू मै विधाता,
साजन जब मेरे से रूठ गया।।
बागो में जब कोयल कू कू बोले,
मनवा मेरा मिलन के लिए बोले।
कैसे इस मन को में समझाऊं,
विरह की लहर मेरे दिल में डोले।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम