ऐसी है मेरी घरवाली।
कभी कभी मिश्री सी मीठी
कभी कडक चाय की प्याली।
ऐसी हैं मेरी घरवारी।
सुंदर मुखडा शुभ सूचक है ।
देखें दिन मंगल हो जाता ।
जिनसे है घर में खुशहाली
ऐसी है मेरी घरवाली।
मधू मधुवत बातें करती
सुस्वादु रसवती बनाती।
न रहती तो घर लगता खाली।
ऐसी है मेरी घरवाली।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र