ऐसी भी माँ होती हैं
मोनिका दरवाजे की घण्टी की आवाज से जगी, दरवाजा खोला तो देखा उसकी पड़ोसन मीना खड़ी है l “मोनिका मैं दो दिन के लिए बाहर जा रही हुँ मेरे पीछे तुम मेरे पौधों की देखभाल करना ये लो चाभी”|
“अरे पर इतनी सुबह सुबह जा कहॉँ रही है कल तक तो ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं था फिर युँ अचानक•••”
“वापस आकर सब बताती हुँ” उसकी बात बीच में ही काट कर और उसे चाभी पकड़वा मीना चली गई l
चार दिन बाद मीना वापस आयी तो उसकी गोद मेँ एक बच्चा था, दिखने से वह मुश्किल से चार-पाँच दिन का लग रहा था और कमजोर भी बहुत था l मीना के पति तो चाभी लेकर चले गये परन्तु वह बच्चे के साथ वहीं रुक गई l पति से उसने सफाई होने के बाद बुला लेने को कहाl
“अरे भाई साहब को चाय तो पी लेने देती तुम लोग थक कर आये हो”
“नहीं वो मेड दरवाजे पर खड़ी है हमने उसे रास्ते से फोन कर दिया था अब छः दिन के बच्चे को गन्दे घऱ में लेकर तो नहीं जा सकते थे चार दिन से घर की सफाई नहीं हुई ना”|
“तू ये इतना छोटा बच्चा कहाँ से लायी और ये तो कमजोर भी बहुत है” मोनिका ने हैरत से कहा l
“मोनिका इसे हमने पचास हजार में ख़रीदा है ये बच्ची अपने माता पिता की पाँचवीं सन्तान है पिछले साल भी उन्होंने अपने नये जन्मे बेटे को बेचा था पर हमें बाद में पता चला l इस बार हमने पहले ही सौदा तय कर लिया था और उन्हें अग्रिम राशि भी दे दी थी इसलिए उन्होंने जन्म के बाद हमें सूचना दी” मीना ने उसे विस्तार से बताया l
“पर मीना ये तो अपराध है तुम लोग कभी भी बच्चा खरीद फरोख्त के केस में फँस सकते हो इससे तो अच्छा होता तुम किसी अनाथालय से बच्चा गोद ले लेती तो तुम लोग कानूनन भी सुरक्षित रहते” मोनिका ने अपनी शँका रखी l
“अरे रहने दे वो किसका खून होता पता नहीं इसके परिवार को हम जानते तो हैँ” मीना ने निश्चिंतता से कहा l
“पर ये भी तो सोचो ये बच्चा कितना कमजोर है और जब तक तुम जैसे ग्राहक उन्हें मिलते रहेँगे वे माँ की कोख रूपी फैक्ट्री से ऐसे ही बच्चे रूपी माल का उत्पादन करते रहेंगे और उनका ये माल गुणवत्तापूर्ण भी नहीं रहेगा” मोनिका ने तिक्त आवाज मेँ कहा l आज उसे उस बच्चे के अनदेखे माता पिता के साथ ही मीना से भी वितृष्णा होने लगी थी उसे सखी बनाकर मोनिका अपने पर ही क्षुब्ध थी इसलिए जब मीना के पति ने एक कमरे की सफाई होने की सूचना देकर वापस आने को कहा तो तो उसे रोकने की थोड़ी भी कोशिश नहीं की l
मोनिका को याद आया l बिन्ता के पहले जो मेड उसने रखी थी सिद्धि नाम था उसका lउसने भी तो यही किया था अपनी तीसरी सन्तान को किसी बँगले वाले को एक लाख में बेच दिया था बच्चे के जन्म के दो दिन बाद ही और मोनिका ने इस बात की जानकारी मिलते ही एक पल की भी देरी किये बिना उसे काम से निकाल दिया था l
उफ़ कैसे-कैसे लोग होते हैं l उसने सुना था माता कुमाता नहीं होती परन्तु मीना की गोद ली बच्ची की माँ और सिद्धि जैसी औरतें माँ के नाम को भी कलँकित करती हैँ l
निर्मला कर्ण
स्वरचित