ऐसा है आज का भारत
बाबा ,नेता सब ने यहाँ
ज़ुल्म और भ्रष्टाचार करके
पा ली है ऊँची सोहरत
ऐसा है आज का भारत ..
तैयार है काले व्यापर करने को
सबको यहाँ पैसे की भुख
अमीर हो या गरीब
सबको चाहिए भौतिक सुख ……
घर बैठे ऐसो आराम मिले
न करना पड़े कभी मेहनत
ऐसा सोचते है आज भी
होगी कोई ईश्वरीय करामत ….
टाल देते है काम लोग यहाँ
ये कहकर ! आज की नहीं है मुहरत
लोग बिन कर्म किये मंदिर, मस्जिद
चले आते है मांगने मन्नत ……….
ईमान की कोई कीमत नहीं
बोल बाला है यहाँ दौलत
पैसा फेंको तमाशा देखो
सबकुछ होता है यहाँ गफलत…..
पुलिस सरकार दोस्त है इनके
घूमते है गुनाहगार यहाँ उन्मुक्त
इन सब हालात देखकर भी
परदे लगा बैठी है अदालत …….
किसी स्टार राज नेता के पीछे
हज़ारो होती है सुरक्षा तैनात
आम आदमी की कोई सुरक्षा नहीं
ये बात भी है सच ……….
देश बदलना चाह रहे है
पर न बदल रहे है फितरत
संस्कृति संस्कार सब भूल रहे है
आधुनिकता के दौड़ में भारत ……
आम आदमी मजदूर किसान को
आज देश में नहीं राहत
नेता जोगी के बदली हुई है तस्वीर
देश में गहराई हुई है मुसीबत………..
मंज़िल तक पंहुचा है सीढ़ी चढ़कर
उस पर भी हो रही है बगावत
स्वतंत्र – लोकतंत्र भारत में आज
पैसे वालो की चलती है हुकुमत ……
गरीबी,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार से
आज लत-पत है भारत
जर्जर सड़क भीड़-भाड़ बस
कदम-कदम में है मुसीबत …….
छोटी- छोटी तकरार में भी
किसी का बह जाता है रक्त
क्या ? दौर आया है हैरा हूँ !
मर गई है यहाँ इंसानियत ……
जुल्म की शिकार रोज होती है
हर रोज यहाँ की बेटिया औरत
रात अँधेरे शहर गलियो में
हर रोज यहाँ होती है वारदात ……..
चोर बदमाशो के ससुराल है
रोज आते जाते है हवालात
राजनीति कानून सब भ्र्ष्ट है
तभी तो इतना त्रस्त है भारत …..
जात-पात धर्म मजहब पर
आज भी होते है जहमत
हिन्दू मुस्लिम सीख ईसाई
क्या है यहाँ कोई सहमत ……..
कौन उबरेगा इस परिस्थिति से
ईधर भी फजीहत उधऱ भी फजीहत
किसपे करे आज भरोसा हमसब
यहाँ कौन देने वाला रहमत ……..
यही स्वर्ग है यही है नरक
सोच बदलने की है जरुरत
जब-तक न बदलोगो खुद को
तब-तक न बदलेगा भारत …
कवि : दुष्यंत कुमार पटेल”चित्रांश”