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3 Aug 2020 · 1 min read

ऐसा सावन खो गया

ऐसा सावन खो गया, जब खिलते थे फूल ।
रिश्तों में थी मधुरता, कभी नहीं थे शूल ।।

पेड़ो पर झूले नहीं, नहीं बचा आनंद ।
ऐसा सावन खो गया, जब गाते थे छंद ।।

रिमझिम रिमझिम न बरसे, सावन की बौछार ।
ऐसा सावन खो गया, कैसे हो त्यौहार ।।

बाहर सब जन बैठकर, करते थे दो बात ।
ऐसा सावन खो गया, गुमसुम बैठे तात ।।

रही नहीं बाजार की, पहले जैसी धूम ।
मोबाइल का दौर है, घर बैठे जग घूम ।।

पहले जैसा खुशनुमा, बचा नहीं माहौल ।
बात बात पर झगड़ते, ऐसे इनके बोल ।।

—–जेपीएल

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 203 Views
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