“ऐसा पहली बार हुआ”
ऐसा पहली बार हुआ,
मन – मयूर थिरकने लगा,
नाम लबों पे आते ही,
मनवा मचलने लगा,
ऐसी खुमारी छाई,
दीदार को मन,
तरसने लगा,
बिन पीये ही मन,
बहकने लगा,
बाँहों में आते ही,
मन मचलने लगा,
बेताब मन, पंख लगा,
गगन में उड़ने लगा,
अंगों से चुनरी का पल्लू,
खिसकने लगा,
लब थरथराने लगे,
देह रूपी शोला,
दहकने लगा,
तपते रेगिस्तान में,
बिन पानी जो पपीहा,
तरस रहा था,
अमृत रूपी बौछार पा,
फुदकने लगा,
तन की अग्न जो,
दहक रही थी,
हाथों ने कुछ ऐसे छुआ,
ऐसा पहली बार हुआ,
कुंदन बन तन चमकने लगा,
काली रात जो नागिन बन,
डसती थी,
दूधिया चाँदनी में नहा,
रात परवान चढ़ी,
तन और सुलगने लगा,
पीया का संग पाते ही,
सजी सेज पर तनवा,
पहली बार “शकुन”,
बेला चमेली जैसे,
महकने लगा।।