ऐसा घर चाहिए……
जहां न आए गमों की धूप
ऐसा घर चाहिए।
जहां न कोई रूप
ऐसा दर चाहिए।
मतलब की इस दुनिया में, औरों का पता न हो मालूम लेकिन खुद की खबर चाहिए।
चलते हैं कुछ दूर सब साथ, जो संग चले हरदम मेरे ऐसा हमसफर चाहिए।
नफरत भरी है हर एक निगाह यहां
प्यार हो जिस में वो नजर चाहिए।
बहुत हैं कांटे राहों में अपनी
फूलों से भरी इक डगर चाहिए।