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5 Feb 2017 · 1 min read

ऐसा क्यूँ होता है

ऐसा क्यूँ होता है
जब कभी मन बहुत उदास होता है
मुसाफिर मंज़िलों का थककर
अपने अतीत मेँ झांकता है
वो छोटी छोटी खुशियों
और यादों के गुलदस्ते मेँ
न उम्मीदों का बोझ
न कुछ खोने का डर
वो बेफिक्री की नीँद
अँजाम से बेख़बर
हर पल को जी भर जी लेने का जूनून
माँ की गोद का वो सुकून
आज हसरतों के हुजूम में
सब पीछे छूट गया है
सपनों के शीशमहल में
अपना घर टूट गया है ……

‘नितेश’

Language: Hindi
348 Views
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