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25 Apr 2020 · 1 min read

ऐसा क्या हुआ

ऐसा क्या हुआ कि आख़िर दुनिया इतनी बदल गई
अच्छाईयाँ हारी बुरी तरह बुराईयाँ आगे निकल गई।

झूठ के फ़लक़-बोस इमारतों में हर कोई रहने लगा
देखो मकाँ-ए-सच को वक़्त की दीमक निगल गई।

आख़िर दम तोड़के है सबको दुनिया छोड़के जाना
कल ख़्वाब में मौत आई थी ये हक़ीक़त उगल गई।

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