ऐसा अपना टीचर हो
मेरी बाल्यकाल की एक रचना , पुरानी भावनाये ताजा होने पर आपसे सांझा करने का मन हुआ ।
।।।।।।।।ऐसा अपना टीचर हो।।।।।।।
ऐसा अपना टीचर हो
अच्छा जिसका नेचर हो
मुख पर हर दम स्माइल हो
ऐसा उसका स्टाइल हो
जिद का वो अड़ियल हो
अंदाज न उसका सड़ियल हो
सादगी की मिसाल हो ।
आवाज में मिठास बेमिसाल हो ।
पढ़ाई का ऐसा जादू कर डाले
खेल खेल में हर चैप्टर कर डाले
ऐसी बात वो कहता हो ।
सबके हर्ट में रहता हो ।
कर दे वो ऐसी मेहरबानियाँ
याद करूँ मैं हरदम, उसकी कुर्बानियां
© कृष्ण मलिक 31.03.2014