ऐलान-ए-जंग
खुलेआम बगावत का
बिगुल बजा दो!
अपने-अपने हाथ में
मशाल उठा लो!
लगाओ इतनी ज़ोर से
नारे इंकलाब के!
ज़ुल्मत के निज़ाम की
बुनियाद हिला दो!
Shekhar Chandra Mitra
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