ऐ!दर्द
इस्तकबाल तेरा
दिल की दहलीज पर,
महबूब याद आता है
तेरी दस्तक से ।
ऐ!दर्द तुझे भुलाना
कमफहमी होगी मेरी,
तेरे बगैर आना जाना
मुकम्मल नहीं होता ।
इस्तकबाल तेरा
दिल की दहलीज पर,
महबूब याद आता है
तेरी दस्तक से ।
ऐ!दर्द तुझे भुलाना
कमफहमी होगी मेरी,
तेरे बगैर आना जाना
मुकम्मल नहीं होता ।