ए ! वक़्त मुझे मेरा बचपन लौटा दे………
जिंदगी का वो हसीं दौर लौटा दे
ए ! वक़्त मुझे मेरा बचपन लौटा दे……
जब माँ के आँचल में छुप जाता था
जब न किसी गम से मेरा नाता था,
जब आगे निकल जाने की होड़ न थी
जब दुनिया की ये पागल दौड़ न थी,
जिंदगी का वो हसीं दौर लौटा दे
ए ! वक़्त मुझे मेरा बचपन लौटा दे………
जब पल में रूठना और पल में मनाना था
जब दोस्ती का खुबसूरत वो ज़माना था,
जब मोहल्ले से आती शिकायतें थी
जब हुआ करती मासूम शरारतें थी,
जिंदगी का वो हसीं दौर लौटा दे
ए ! वक़्त मुझे मेरा बचपन लौटा दे………
जब तोड़ते पेड़ों से बेर, अमरुद और आम थे
जब रखते एक दूसरे के कैसे-कैसे नाम थे,
जब धूप, बारिश, आँधी सब झेला जाते थे
जब सुबह से शाम तक बस खेला आते थे,
जिंदगी का वो हसीं दौर लौटा दे
ए ! वक़्त मुझे मेरा बचपन लौटा दे……