ए मेरे प्यारे वतन !
तेरे हाथों की लकीरों से बदनसीबी को मिटा देंगें,
देकर अपना लहू तेरी तकदीर हम संवार देंगे ।
तेरी आँखों से बहते इन आंसुओ की कसम,
अब न तुझे रोने देंगे ,तेरे सारे आंसू हम पी लेंगें ,
तेरा हुस्न औ जवानी ना लौटा दे जब तक तुझे,
हम तब तक चैन ओ सुकून से दम ना ले सकेंगे।
घात लगाकर जो बैठे है दुश्मन घेरे हुए है तुझको,
देखना ऐसे दुश्मनों को हम नाकों चने चबवाएंगे ।
चाहे हों हम किसी भी जाति,धर्म और प्रांत के वासी ,
हम एक थे ,हम एक हैं और हम सदा एक ही रहेंगे।
तू है हमारा स्वाभिमान और हमारी जान “ए वतन” ,
जान देकर भी तेरा सर न कभी झुकने हम देंगे ।
” अनु” की जिंदगी की सदा एक ही छोटी सी आरजू,
हमारा वतन अमर रहे युगों युगों तक यही दुआ करेंगे।