ए मालिक किनारा लगा देना
ए मालिक किनारा लगा देना
जिंदगी को बिना जाने
चलते चले गए
जब होश आया तो बहुत
आगे निकल चुके थे
मुरकर पीछे जाना मुमकिन
नहीं
पर राह आगे की तो
दिखाते चला चल
ए मालिक किनारा लगा देना ।
दीन वो हो नहीं सकता
जिसके कदम में तुम्हारा
बल समाहित हो
एक दिव्य दृष्टि की
दान कर
जो तुम्हारे साथ होने
का एहसास कराते
चला चले
ए मालिक किनारा लगा देना ।
इतना तो रहम कर कि
सुबह आत्मविश्वास की किरण
लहराये
दिन अपने प्रण को साकार
होते हुए दिखाए
रात चैन की नींद
सुलाए बस……..
ए मालिक किनारा लगा देना ।
कर जोड़ विनती तुमसे करूँ
मान इतनी तू मेरा
रख लेना
मेरे अरमानों के
पुष्पों को पुष्पित
करते चला चल
ए मालिक किनारा लगा देना ।
दे आशीष इन सांसो को
पंछी बनकर जब उड़ने
को हो बेताब
उनके स्पर्श से ओत –
प्रोत करा देना
उनके फूलों
की खुशबू को इस
जग में
फैलाते चला चल
ए मालिक किनारा लगा देना ।
ए मालिक किनारा …………..
” एक अरजी “………
@पूनम झा | कोटा ,राजस्थान