—ए दिल—
ए दिल तू भी कभी मुस्कुरा दिया कर
न ऐसे यूं रूठ जाया कर
बैठ कर यूं हताश उदास क्या होगा
कोई तो अपना होगा जो तुझसे जुड़ा होगा
अपनी बेचैनी को न बढ़ाया कर
ए दिल तू भी कभी मुस्कुरा दिया कर।
समझ सके जो तुझको ऐसी दुनिया बनाया कर
पल पल बदलने वालों से तू भी सम्भल जाया कर
न कोई उम्मीद उनसे तू लगाया कर।
कभी अपने जो बनने लगे पराये
फिर उनको कोई दर्द न तू बताया कर
बस यूं ही एक गुफ्तगू कर उनको
तू दूर कर जाया कर।।
माना हर दिन एक सा नही रहता
हर दिन खुशी मस्ती का नही रहता
लाख हो ग़मो का सामना फिर भी
कुछ पल ही सही हर रंज भूल जाया कर।
सब बड़ों की भीड़ में बच्चा बन जाया कर।।
कर के अटखेलियां बेवज़ह झूम जाया कर
ए दिल तू भी कभी मुस्कुरा दिया कर।।