ए दिल तू
आज भी उसकी उसकी बेवफाई पर तू रोता क्यूं है
दगा तो उसकी फितरत में था फिर दिल तू तड़पता
क्यूं है
कर गया टुकड़े दिल के फिर दिल तू अपना चैन खोता क्यूं है।।
आज भी उसकी उसकी बेवफाई पर तू रोता क्यूं है
दगा तो उसकी फितरत में था फिर दिल तू तड़पता
क्यूं है
कर गया टुकड़े दिल के फिर दिल तू अपना चैन खोता क्यूं है।।