ए तीर चलाने वाले
ए तीर चलाने वाले तुम मेरे मात पिता को बचा लेना
कहीं प्यास से दोनों मर न जा तू जाकर पानी पिला देना
जल ले जाओ ना देर करो कहना लो पानी पी लो जी श्ररवण भी अभी आ जाएगा बस इतना उन्हें समझा देना
कह देना मुझको माफ करें उन्हें छोड़ अकेला चला आया मैं हाथ जोड़कर अर्ज करूं कुछ सेवा उनकी बजा देना
कह देना धोखे से तीर लगा लगते ही उनके प्राण गए बलदेव अन्याई दशरथ हूं चाहे श्राप कहो या गिला देना