एहसाास वर्षा का
पेड़ -पौधें लहराते
हवाओं में,
बिजली चमकती
बादालो में,
मैं भी घिर गया
तूफ़ानो मे,
कट रहे थे पल
मुश्किलों में।
कोई पूछे हाल हमारा
यही आश लगा
हम बैठे थे ,
याद आ रही अपनो की
बस रब को याद किये
जा रहे थे ,
गरजते -गरजते बादल
पानी का पेगा़म
बता रहे थे ,
छुआ हृदय तो
खुशी का जाम
पिला रहें थे।