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11 Aug 2024 · 1 min read

एहसास

क्या तुम्हें एहसास है, कैसा लगा होगा !
सामने आँख के, सपना फिसल गया होगा ।

जिसका, मुद्दतों किया था इंतज़ार तुमने,
जब दिखा ,तो किसी और को मिल गया होगा ।

कुछ न मिला आज भी, जो काम ढूँढने निकला ,
सुबह फिर, क़िस्मत आज़माने रवाना होगा l

और उसके बाद ,सवालात की रात, सो सी गई ,
तकिये के नीचे छिपे सवालों ने , सुबह जगाया होगा II

डा राजीव “सागरी”

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