‘एहसास’
शायद सूरज की लौ बनकर
तेरे तन पर उतर जाएंगे ,
या हवा का झोंका बनकर
तेरे बालों को उड़ाएंगे ,
हम ” एहसास “है
तुम्हें याद आएंगे ।
शायद बारिश की बूंद बनकर
तेरे बाहों में सिमट जाएंगे ,
या फूलों की खुशबू बनकर
तेरे बदन से लिपट जाएंगे ,
हम ” एहसास “हैं
तुम्हें याद आएंगे ।
शायद झरना बनकर
पहाड़ों से उतर जाएंगे ,
या नदी बनकर
तुमसे मिलने आएंगे
हम ” एहसास “हैं ,
तुम्हें याद आएंगे ।
शायद चांदनी की रोशनी बनकर
तेरे तन पर बिखर जाएंगे ,
या रात का मधुर सपना बनकर
आंखों में उतर जाएंगे ,
हम ” एहसास “हैं ,
तुम्हें याद आएंगे ।
शायद सावन बनकर
तेरे आंखों से बरस जाएंगे ,
या मुस्कुराहट बनकर
तेरे होठों पर पसर जाएंगे ,
हम ” एहसास ” है ,
तुम्हें याद आएंगे ।
******””””सुनील पासवान कुशीनगर”””******
28.05.2021.