एहसास पर लिखे अश’आर
तू बिछड़ के देख लेना
एहसास तुझको होगा ।
मुझे दर्द कोई होगा
तो महसूस तुझको होगा ।।
एहसास कोई रुलाता नहीं है ।
यूँ ही भीग जाती हैं आँखें हमारी ।।
हमको एहसास अब नहीं होता ।
हमने मजबूरियों को समझा है ।।
दर्द को फिर राहते नहीं मिलती ।
लफ़्ज़ एहसास जब सिमट जाए ।।
एक एहसास ही था तेरा ।
तेरे एहसास में रहा बाक़ी ।।
सारे एहसास के रिश्तों से मुकर जाते हैं ।
जब हक़ीक़त के सवालों से गुज़र जाते हैं ।।
लफ़्ज़ों में पिरो लेते हैं एहसास के मोती ।
हमें इज़हार-ए- तमन्ना का सलीक़ा नहीं आता ।।
नज़ारा दर्द का पल भर में बदल जाए ।
दिलों को दर्द का अगर एहसास मिल जाए ।।
डॉ फौज़िया नसीम शाद