एहसास-ऐ-गैर
मुहब्बत के नाम का पाठ वो दिन रात रटता है।
जरा सा छेड़ दो तो ज्वालामुखी सा फटता है।।
क्या हालात हो गये आज दोस्ताना-ऐ-जहाँ के
जिसे मानो अपना एहसास-ऐ-गैर दिला के हटता है।।
!
!
—::डी के निवातिया::—
मुहब्बत के नाम का पाठ वो दिन रात रटता है।
जरा सा छेड़ दो तो ज्वालामुखी सा फटता है।।
क्या हालात हो गये आज दोस्ताना-ऐ-जहाँ के
जिसे मानो अपना एहसास-ऐ-गैर दिला के हटता है।।
!
!
—::डी के निवातिया::—