एहसास ए चाय
इन तारीखों में कुछ तो खास है ना चाय पर हुई उन मुलाकातों के एहसास तुम्हारे भी पास है ना
इन तारीखों में कुछ खास है ना
यूं तुम्हारा लहराते बालों में आना
स्कूटी की चाबी गुस्से में पटकना, और मुझे लेट लतीफ बताना, वो अपने काम गिनवाना, अपने आप को बहुत व्यस्त दिखाना
जल्दी में चाय मेरे हाथ पर गिराना
फिर अपनी चुन्नी से हाथ पोछना, आंसू बहाना
ये एहसास अब भी तुम्हारे पास है ना
इन तारीखों में कुछ तो खास है ना
बच्चों की छुट्टी रखी है तुम्हे मिलने के लिए, ऐसा मुझे जताना, फिर उन बच्चो को शाम को पढ़ना हर मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे पर सर झुकाना, सिर्फ मेरे लिए दुआ करना और मुस्कुराना, ऐसे कुछ पल अब भी तुम्हारे साथ है ना
इन तारीखों मे कुछ तो खास है ना
वो सुबह जल्दी उठना आलू के पराठे बनाना, वो अपने स्टूडेंट्स से मुझे भिजवाना लड़ना, झगड़ना बाद मे soory बोलते हुए मुस्कुराना
ये पल अब भी तुम्हारे पास है ना
इन तारीखों में कुछ तो खास है बा
Akash RC Sharma✍️, ©️