एहसानों के बोझ तले दबा एक जीवन ,
पहला एहसान माता पिता का ,
जिन्होंने जन्म दिया और पालन पोषण किया ।
और दुनिया का मुकाबला करने हेतु ,
हमें अपने पैरों पर खड़ा किया ।
दूसरा एहसान दोस्तों और रिश्तेदारों का ,
जिन्होंने मुश्किल के समय गिरगिटों की तरह ,
रंग बदलकर संसार की कड़वी सच्चाई स्वार्थपरता से ,
परिचय करवाया ।
तीसरा एहसान कुछ दुश्मनों का ,
जिन्होंने दिल और आत्मा को इतने जख्म दिए ,
के उन ज़ख्मों को संग लेकर हमें जीना सिखाया।
चौथा एहसान प्रकृति का ,
जिसने हमें मूक रहकर भी ,
दया ,करुणा,नेकी ,सहयोग ,संतोष ,और शांति का ,
पाठ हमें पढ़ाया।
और अब आखिरी एहसान मौत करेगी ,
एक थके हारे,टूटे हुए जर्जर हुए शरीर और जीवन को ,
खाक में मिलाकर ,और आत्मा को उसके ,
सच्चे प्रेमी परमात्मा से सदा सदा के लिए मिलवाया।
अच्छे और बुरे ,
अपनो और गैरों के,
एहसानो तले दबा यह जीवन ,
किस किस का एहसान , कैसे भला यह जीवन ,
उतरेगा।
यह सभी एहसान जो हमारा प्रारब्ध
बन गए है ।
भला कैसे इससे दामन छूटेगा इनसे !
अंतिम श्वास तक जिसने सदा साथ निभाया ।