एफ आई आर
28• एफ आई आर
आज झपसी सिंह के घर के बाहर सर्दी के मौसम में दोपहर बाद मुहल्ले वालों की भारी भीड़ जुटी थी।लोग कह रहे थे कि उनकी बहू झूलन देवी ने उनकी ही बंदूक से आत्महत्या कर लिया था ।पता नहीं क्यों! ससुर झपसी और पति खदेरू दोनों काम पर बाहर गये हुए थे ।यमुना के बीहड़ में छोटा-सा कस्बा और साधारण सा कमाता-खाता किसान परिवार ।रोजी-रोटी के लिए शहर जाना ही पड़ता था।लेकिन लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने ऐसा क्यों किया? बहू बंदूक चलाना जानती थी क्या?परिवार वाले ऐसे थे नहीं ।कोई झगड़ा-विवाद भी नहीं ।अभी तो चार साल पहले ही शादी हुई थी । बेशक अभी कोई बच्चे नहीं थे,लेकिन अभी कौन सा समय चला गया था।जितने मुंह, उतनी बातें ।सास का घर में रो-रो कर बुरा हाल था।
भीड़ में किसी ने पुलिस को सूचित कर दिया, किसी ने उसके पति और ससुर को संदेशा भिजवाया। उसकी सास सुखिया ने उसके पिता होशियार सिंह के गाँव में किसी के फोन पर यह दुखद समाचार पहुंचाया ।अब और कोई आए उससे पहले पुलिस आ गई ।मौत का मामला जो था। पुलिस को रसोई में बहू मृत अवस्था में मिली ।बंदूक से गोली चली थी।सास ने भी बताया ठंडी में ऊपर छत पर बैठी थी और गोली की आवाज़ सुनाई दी तो भाग कर नीचे आई थी और उसकी भी समझ में नहीं आ रहा था कि बहू अलमारी से बिना बात, बगैर किसी को बताए
बंदूक क्यों निकाली ।पहले तो कभी ससुर की बंदूक को उसने हाथ भी नहीं लगाया ।जल्दी ही मृतका के पति और ससुर भी आ गए ।भारी मन से दोनों ने यही बताया कि सुबह उनके जाते समय सबकुछ सामान्य था और यह बात उनकी समझ से बाहर थी कि बहू ने आत्महत्या क्यों किया? बंदूक और चली हुई गोली का खोखा तथा मृतका के पास पड़े मोबाइल फोन को भी पुलिस ने कब्ज़े में ले लिया । सास ने बताया फोन बहू का ही था जो रसोई में वह अपने पास ही रखती थी।पुलिस को यह समझते देर न लगी कि जब दिन में घर में नीचे कोई था नहीं तो बिना ताले की अलमारी से बंदूक अवश्य बहू ही निकाली होगी। उधर भीड़ में भी कुछ पड़ोसियों से बात करने के बाद पुलिस को जाहिरा तौर पर मामला खुदकशी का ही लगा ।
आगे पुलिस वाले घटनास्थल की फोटोग्राफी कराकर झूलन देवी की मृत्यु का समय और व्योरा नोट कर चले गए ।उसके तुरंत बाद मृतका झूलन देवी के माँ-बाप भी अपने गाँव से पहुंच गए ।सभी गहरे शोक में डूब गए ।शाम को पुलिस की इजाजत से दोनों परिवार मिलकर मृतका का दाह संस्कार संपन्न किए। होशियार सिंह पत्नी के साथ बहुत दुखी मन से अंत्येष्टि स्थल से ही अपने गाँव लौट गए ।
लेकिन झपसी सिंह के परिवार की परेशानी
तब अचानक ही और बढ़ गई जब तीन दिन बाद ही पता नहीं किस के बहकावे में आकर होशियार सिंह ने पूरे परिवार के खिलाफ थाने में एफ आई आर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) लिखा दिया कि वास्तव में बेटी की मृत्यु आत्महत्या नहीं है बल्कि कोई बच्चा न होने के कारण पूरे परिवार ने मिलकर सोची समझी रणनीति के तहत साजिशन उसे मार दिया है ।बेटी बंदूक चलाना नहीं जानती थी और संभव है उसकी मृत्यु के बाद ही पति और ससुर घर से बाहर गए हों।जरूर उसकी मौत के पीछे कुछ रहस्य है।झपसी सिंह और बेटा खदेरू दोनों एफ आई आर की बात सुन बहुत परेशान हुए ।पहले तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। फिर अपने विधायक को अपनी परेशानी बताए। विधायक तिवारी जी भले आदमी थे। उन्होंने ढाढ़स बधाया कि तुम लोग निर्दोष हो, कुछ नहीं होगा ।जाँच में सच सामने आ ही जाएगा ।
अब चूंकि हत्या की एफ आई आर हो गई तो पुलिस भी जाँच-पड़ताल में जुट गई।सबके बयान दर्ज हुए ।खोजी कुत्ता भी आया ।मृतका के पिता अपने आरोप पर अड़े रहे। खैर, सारी रिपोर्टें, घटनास्थल की परिस्थिति, मृतका के पास रसोई में मिले उसके फोन की जाँच और समय आदि के विश्लेषण के बाद यह बात शीशे की तरह साफ हो गई कि झूलन देवी ने अपने फोन से बंदूक के साथ अपनी खुद की फोटो (सेल्फी) लेने की कोशिश की थी और जाने-अनजाने गोली उसके हाथ से ही चली थी जो उसकी मृत्यु का कारण बनी। इस घटना में और किसी का हाथ नहीं था।
अब जाकर झपसी सिंह के परिवार ने कुछ राहत की सांस ली।उन्होंने पुलिस को बहुत -बहुत धन्यवाद कहा, लेकिन बहू के खोने का दुख सीने में लिए हुए भी उसके पिता होशियार सिंह से आगे सारा रिश्ता खत्म कर लिया ।
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—राजेंद्र प्रसाद गुप्ता,मौलिक /स्वरचित,24/07/2021•