एड्स रोग एक सामाजिक ज्वलंत प्रश्न व स्थिति का आकलन
एड्स रोग –सामाजिक ज्वलंत प्रश्न व स्थिति का आकलन
एक दिसंबर को समस्त विश्व मे विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है ।यह ज्वलंत प्रश्न हर शिक्षित युवा के मन में उभरता है कि वर्तमान में देश में एड्स रोग की स्थिति क्या है ?स्थानीय स्तर पर रोग के संक्रमण की स्थिति कितनी गंभीर है
उपरोक्तरोग की गंभीरता व भयावह स्थिति को देखते हुए हमें एड्स रोग के प्रसार के तंत्र को समझना होगा ।
वर्तमान समय में सर्वाधिक मामले नशे से संबन्धित एड्स रोगियों के हैं । अन्य मामले असुरक्षित यौन सम्बन्धों के कारण हैं , कुछ मामले संक्रमित माताओं व शिशुओं से संबन्धित हैं। एड्स रोगियों मे अधिकतर कैदी , वाहनचालक , नशे के आदी डेली वेजेज़ वाले व्यक्ति हैं । कुछ ग्रामीण क्षेत्र के क्षय रोगी एड्स से ग्रसित होने के उपरांत पहचाने जाते हैं । नागरिक रोजगार कि तलाश में राजधानियों या विभिन्न औध्योगिक नगरों में प्रवास करते हैं , एड्स से संक्रमित होने के पश्चात उचित उपचार हेतु जनपद के आई सी टी सी केन्द्रों पर उन्हे जांच कर चिन्हित किया जाता है व ए आर टी केन्द्रों से जोड़ा जाता है ।
एड्स का जीवन पर प्रभाव –
एड्स, एड्स रोगी की उत्पादक क्षमता अर्थात धन कमाने की क्षमता पर प्रभाव डालता है , साथ ही साथ दीर्घ जीवन की आशा भी क्षीण करता है । अत : पीड़ित परिवार , आर्थिक व सामाजिक रूप से संकट में आ जाता है । यदि पति -पत्नी दोनों एड्स ग्रसित हैं , तो बच्चो के सामने आजीविका,शिक्षा व स्वास्थ्य का महत्व पूर्ण प्रश्न खड़ा हो सकता है। परिवार समस्याओं के कुचक्र मे घिर सकता है ।
व्यक्ति की निजी गोपनीयता बनाए रखने में पूरा सरकारी तंत्र जुटा होता है , जो व्यक्ति को सामाजिक कलंक से बचा कर सम्मान जनक जीवन देने का प्रयास है ।
एड्स की रोकथाम हेतु उपाय – एड्स की रोकथाम हेतु निरोध का आबंटन व प्रचार देखा जा सकता है ,
वही सुई से नशे की आदत वाले व्यक्तियों को स्वयं सेवी संस्थाए स्वास्थ्य- शिक्षा के साथ -साथ विसंक्रमित सुइयों का निशुल्क वितरण करती हैं, व नशा मुक्ति केन्द्रों में उनका उपचार भी कराया जाता है । क्षय रोगियों व अन्य रोग से ग्रस्त एड्स रोगियों का निशुल्क उपचार कराया जाता है ।
वर्ष मे दोबार ए आर टी केन्द्रों मे एड्स की गंभीरता की जांच हेतु सी डी 4 काउंट व रक्त की सामन्य जांच , वक्ष का एक्स रे , उदर का अल्ट्रा साउंड कराकर रोगी का विश्लेषण किया जाता है । जिससे रोगी के जीवन की प्रत्याशा आँकी जा सके ।
जांच केंद्र —
एड्स एक असाध्य रोग है । समय पर एड्स की जांच आई सी टी सी केंद्र , ए आर टी केंद्र , या रक्त दान के पश्चात ब्लड बैंक मे , या यौन रोगों की एड्स हेतु जांच सुरक्षा केन्द्रो में की जा सकती है ।
एड्स का रोकथाम ही उपाय है । एड्स का कोई टीका नहीं है । उपलब्ध औषधियाँ से केवल जीवन का स्तर व रोगों की गंभीरता कम की जा सकती है ।
अत:एड्स की गंभीरता को ध्यान मे रखते हुए अपनी स्थिति का उचित आकलन समय रहते करें , जिससे एड्स प्रसार को रोका जा सके व सुरक्षात्मक उपाय अपनाएं जा सकें ।
01-12-2018 लेख –
डा0 प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
आई सी टी सी प्रभारी/ब्लड बैंक प्रभारी
जिला चिकित्सालय सीतापुर