एजाज़ लिख दूँ
मैं रोशनी पलट दूँ की ऐसे अल्फाज़ लिख दूँ
धार है मेरे कहने मे अगर खंजर को आवाज़ लिख दूँ।
मिट्टी मे मिल जाते हैं आकाश कई अक्सर
बंजर पेरो से उड़ी थी जो धूल वो परवाज़ लिख दूँ।
जिवन का अंत अगर मृत्यु ही होता हैं
तो समाज को बदल दूँ ऐसा रिवाज़ लिख दूँ।
जगत कि योनी लिख दूँ समय का रियाज़ लिख दूँ
विचार जब विषय बनता हैं वो इम्तियाज़ लिख दूँ।
‘राव’नाराज जिंदगी का भी एक मिजाज़ लिख दूँ
भविष्य को आज,आज को कल,कल को एजाज़ लिख दूँ