#एक_कविता
#एक_कविता
■ सबक़ सीखने का मौसम है।।
【प्रणय प्रभात】
■ मानवता संग घात समझ लो,
ग़ौर करो हर बात समझ लो।
किसकी कैसी ज़ात समझ लो,
रिश्तों की औक़ात समझ लो।
अनुभव ले लो, कैसा ग़म है??
■ बेबस हर इंसान जान लो,
किस-किस में शैतान जान लो।
जग में सब मेहमान जान लो,
इक समर्थ भगवान जान लो।
सबक़ सीखने का मौसम है।।
■ निज रसूख से दूर हो गए,
अकड़ के पुतले चूर हो गए।
धन-कुबेर मजबूर हो गए,
सब फ़ितूर काफ़ूर हो गए।
उखड़ रहा हर इक का दम है।।
■ समय बिताओ बैठे ठाले,
ख़ुद को कर एकांत हवाले।
गुणा, भाग, घट, जोड़ लगा ले,
करम याद सब कर ले काले।
सिर ऊपर मंडराता यम है।।
■ एक वायरस गज़ब ढा गया,
कितनों के ही प्राण खा गया।
संकट बन सर्वत्र छा गया,
दुनिया भर को समझ आ गया।
वो जीतेगा, जिस में दम है।।
■प्रणय प्रभात■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)