*सीढ़ी चढ़ती और उतरती(बाल कविता)*
Sometimes a thought comes
" आखिर कब तक ...आखिर कब तक मोदी जी "
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
ग़म-ख़ुशी सब परख के चुप था वो- संदीप ठाकुर
हाइकु -तेरे भरोसे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तेरे साथ गुज़रे वो पल लिख रहा हूँ..!
सोचा नहीं था एक दिन , तू यूँ हीं हमें छोड़ जाएगा।
जो कभी मिल ना सके ऐसी चाह मत करना।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
गम एक जहर है ,फिर भी पिए जाती हूँ ।
Dictatorship in guise of Democracy ?
बह्र 2212 122 मुसतफ़इलुन फ़ऊलुन काफ़िया -आ रदीफ़ -रहा है
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
भरे मन भाव अति पावन, करूँ मैं वंदना शिव की।
उस दर पर कोई नई सी दस्तक हो मेरी,
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया