फिर आओ की तुम्हे पुकारता हूं मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
पत्थर जैसे दिल से दिल लगाना पड़ता है,
International Self Care Day
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
औरों के लिए सोचना अब छोड़ दिया हैं ,
" हैं पलाश इठलाये "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
*आते हैं जो पतझड़-वसंत, मौसम ही उनको मत जानो (राधेश्यामी छंद
लाल दास कृत मिथिला रामायण मे सीता।
कैसे बदला जायेगा वो माहौल