धरती ने जलवाष्पों को आसमान तक संदेश भिजवाया
मुझे तुमसे अनुराग कितना है?
अगलग्गी (मैथिली)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*देना प्रभु जी स्वस्थ तन, जब तक जीवित प्राण(कुंडलिया )*
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
गीत- पिता संतान को ख़ुशियाँ...
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
हमे अब कहा फिक्र जमाने की है