एक हो गए
जिंदगी में दो अनजान मुसाफिर एक हो गए
दो जिस्म और एक जान जैसे वो एक हो गए
अग्नि को मान साक्षी खाई थी जो कसमें
उनकी खातिर ही इस रात में वो एक हो गए
जिंदगी में दो अनजान मुसाफिर एक हो गए
दो जिस्म और एक जान जैसे वो एक हो गए
अग्नि को मान साक्षी खाई थी जो कसमें
उनकी खातिर ही इस रात में वो एक हो गए