एक ही स्थान पर संवर रही है बच्चों एवं महिलाओं की जिंदगी
जी हां पाठकों, मैं फिर हाजिर हूं, एक नये ब्लॉग के साथ, जिसके माध्यम से मैं आपको अवगत कराना चाहती हूं कि आज के इस तकनीकी युग में व्यस्ततम जीवन के सफर में कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं, जो समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखतीं हैं, उनमें से ही एक हैं, “सुश्री इंजिला शाह” वे आर्टिफिशियल ज्वेलरी आर्टिस्ट हैं ।
वे गरीब परिवार के बच्चों और महिलाओं की मदद कर रहीं हैं । उन्हें शिक्षा और रोजगार मिले यही कोशिश कर रही हैं । “साथ ही उनका कहना है कि मैं मात्र एक जरिया हूं,उनको सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु तत्पर “।
राजधानी भोपाल में कई संस्थाएं गरीब बच्चों एवं महिलाओं को शिक्षा एवं कौशल विकास से जोड़ने का काम कर रही हैं । इन्हीं में से एक है,” इंदिरा जन-कल्याण समिति” । इसकी प्रमुख कोहेफिजा निवासी इंजिला शाह हैं ।
इसकी शुरुआत वर्ष 2011 में हुई और पढ़ाई और प्रशिक्षण निःशुल्क दिया जाता है । जी हां, ” इनका मकसद बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना और साथ ही महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाकर सशक्त बनाना है, ताकि जिनके पास साधन नहीं है, वे शिक्षा या रोजगार प्राप्त करने से वंचित ना रहें ” ।
जी हां पाठकों, खास बात यह है कि संस्था का सारा खर्च इंजिला जी स्वयं ही कुशलतापूर्वक उठाती हैं । यहां बच्चों को अंग्रेजी, हिंदी का प्रशिक्षण देने के साथ ही कम्प्यूटर की कोचिंग भी उपलब्ध कराई जाती है । कम से कम एक बैच में 45 बच्चे एक वर्ष तक मुफ्त प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं ।
जी हां पाठकों, “आज के इस दौर में ऐसी महिलाएं भी हैं, जो समाज की भलाई के लिए कुशलतापूर्वक कार्य करने में सक्षम है, यह तारिफेकाबिल तो है ही, साथ ही आश्चर्यजनक भी” ।
“इस संस्था में पढ़ाई और कम्प्यूटर के प्रशिक्षण के साथ ही साथ महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, मेहंदी एवं मिट्टी के बर्तन बनाने का प्रशिक्षण खास तौर पर दिया जाता है ” । इस प्रशिक्षण की अवधि 3 महीने निश्चित की गई है ।
इसके अलावा जो बच्चे स्कूल नहीं जा पाते या अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुके हैं, उन्हें पुनः स्कूल जाकर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया जाता है । “इस संस्था में अभी तक लगभग 250 महिलाओं द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर कुशलतापूर्वक कार्य किया जा रहा है ” ।
सुश्री इंजिला शाह स्वयं एक ज्वेलरी आर्टिस्ट हैं । अपने आर्ट के माध्यम से जो भी उनकी कमाई होती है, “वह बच्चों और महिलाओं पर खर्च कर देती हैं” ।
“ताज्जूब की बात है न पाठकों, इस महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में इंजिला जी के परिवार के सदस्य भी अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं “।
“इंजिला जी द्वारा संस्था में प्रवेश लेने वाले बच्चों को मोबाइल की लत से दूर रहने के लिए एक लाइब्रेरी बनवा रहीं हैं” । इसमें शिक्षाप्रद और मनोरंजन वाली पुस्तकों का संग्रह होगा, जो बच्चों को पढ़ने के लिए दी जाएंगी ताकि उनका शैक्षणिक विकास सुगमतापूर्वक हो सके ।
जी हां पाठकों, इंजिला जी की आगामी योजनाओं के तहत ” पक्षियों को पानी मिले अभियान” में सकोरे (एक प्रकार की छोटी कटोरी) वितरित किए जाएंगे । साथ ही “स्कूल- कॉलेज के पूर्व विद्यार्थियों से अपनी पुस्तकों को दान करने हेतु अनुरोध किया जाएगा ” ।
अंत में इतना ही कहूंगी कि दिल में अगर जज्बा हो, कुछ कर गुजरने का, तो पाठकों मैं नहीं मानती कि वह पूर्ण हो नहीं सकती, “आप एक कदम बढाइये , हजारों कदम खुद-ब-खुद आपकी सहायता के लिए आगे आ ही जाएंगे” ।
फिर पाठकों अपनी आख्या के माध्यम से बताइएगा ज़रूर, कैसा लगा मेरा ब्लॉग ? मुझे आपकी आख्या का इंतजार रहेगा ।
धन्यवाद आपका ।