एक ही नारा
10 फ़रवरी दिल्ली मंगोल पूरी की घटना कल्पना से परे क्या अंकित शर्मा के बाद अब रिंकू शर्मा की ये ह्त्या क्या यही साबित नहीं करती की सच मे आमिर खान और शाहरुख नासिर सब को ये देश छोड़ देना चाहिए तो पेश है मेरी ये अशोक सपड़ा कि दिल्ली से ये कविता किसी भी तरह की आप सब से शेयर करने की कोई भी फ़रियाद करने की भीख न माँगते हुए
एक ही नारा आखरी नारा मुँह से निकले जय श्री राम
कब फाँसी चढ़ेंगे जाहिद, मेहताब, दानिश औ इस्लाम
क्या कुसूर था आज ये देश यही पूछ रहा है हम सबसे
क्या न्याय मिल पायेगा रिंकू शर्मा को केजरी के धाम
या फ़िर से अंकित शर्मा की तरह आवाज़ दब जायेगी
या इंतजार अभी और चाकू लगने वालों के मिले नाम
मैं कोई बड़ा कवि नहीं जो न्याय मांगू दिल्ली दरबार से
मै तो कवि हमदर्द ठहरा नाम बड़े कवियों में है गुमनाम
बताओ मोदीजी कब न्याय होगा क्या इंतजार करें हम
क्या योगी जी से न्याय मांगे जाकर के हम उनके गाम
बस एक बात बतला दो माननीय न्यायालय वालो तुम
कौन सा दिन होगा न्याय होगा कौन सी होगी वो शाम
या गाडी पलटी जाएगी या एनकाउंटर हो जाएगा बस
या फाँसी चढ़ेंगे जाहिद, मेहताब, दानिश और इस्लाम
या फांसी चढ़ेंगे
अशोक सपड़ा हमदर्द दिल्ली से