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9 Jul 2018 · 1 min read

एक हास्य व व्यंग कविता –आर के रस्तोगी

पेट्रोल के दाम बढ़ रहे
फिर भी वाहन चल रहे

महंगाई भी रोजना बाद रही
फिर भी लोग होटल में खा रहे

सत्ता के सब लालची हो रहे
देश को भाड में झोक रहे

नेता आपस में लड़ रहे
जनता को एकता का सबक दे रहे

जो कभी आपस में दुश्मन थे
आज वे आपस में गले मिल रहे

जनता कवि सम्मेलनों में आ नही रही
कविता गजल लोगो को भा नहीं रही

बेटा बाप की सुनता नहीं
बाप भी अब मिलता नही

पत्नि मायके जाती नहीं
गर्ल फ्रेंड भी फसती नहीं

बडो घर के रिश्ते अब टिकते नहीं
लडकियों के बदन पर कपड़े टिकते नहीं

आर के रस्तोगी

Language: Hindi
658 Views
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