एक हरषित परिवार
( एक हर्षित परिवार )
हमारी उन्नति देख शीना चौड़ा हुआ,
पिता,|
खुआँब पूरा देख रो पड़ी वो देवी रहे देखें खडी़,
माँ,|
बुलंद हो गया जिसका रौब वो हमारें साथ खडा़,
भाई,|
जरुरत माँगे देख खडी़ पहले न माँगा कुछ और,
बहिन,|
अपनी इच्छा पूर्ण कर दियो लाख करे यतन परमात ,
भावी,|
जरूरत पूरी कर दियो आज वक्त महान,
पत्नि,|
सब देख हर्षा उठे आया वक्त महान,
परिवार,|
देत बहाना मिठाई का मंद मंद मुसकुरात,
दोस्त,|
लेखक— Jayvind singh nagariya ji