एक हक़ीक़त
एक हक़ीक़त
अरमानोको यू हमने चुपचाप
सुलाया है
चाहत ने मगर तेरी नींदो से जगाया है।।
अल्लाह के आगे अब सर अपना झुकाया है
तन्हा हूँ बे-खौफ̐ हूँ țँडर दूर भगाया है।।
तकदीर का मेरी
अब चमका सितारा है।
सोचा भी नहीं था जो क्या-क्या नहीं पाया है।।
यह अहले वफा भी कुछ काम यँूआया है।
महफ़िल में वजदू अपना यकताईˬ में पाया है।।
उल्फत में ˬतेरी. हमनें
ये भेस बनाया है
किस खूबी से तूने अपना किरदार निभाया है
हर लम्हे ख़यालों में तुझ को ही
पाया है
अशआर में अपना हर लफ्ज सजाया है
मेहनत से अगर हमने इस घर को
सजाया है
हिम्मत से मगर तूने हर फर्ज निभाया है
ShabinaZ