एक स्त्री का प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
एक स्त्री का प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
जो हर व्यक्ति के भाग्य में नहीं होता,
वो उसी को नसीब होता है,
जो उसके सामने झुकता है,
मैं ये नही मानती कि किसी स्त्री को पत्नी बनाना,
उसके प्रेम को प्राप्त कर लेना है..
क्योंकि स्त्री पति को सिर्फ उसका अधिकार देती है प्रेम नही .
प्रेम को पाने के लिए उतना ही समर्पण चाहिए
जितना हम भगवान को पाने के लिए करते है,
क्योंकि प्रेम को हम नही प्रेम हमको चुनता हैं..♥️♥️
(स्त्री_मन)
रिश्ता रूह का ✍️