एक सैनिक और पत्नी का वार्तालाप।
जाओ साजन जाओ तुमको फर्ज अपना है निभाना
राह देखूँगी तुम्हारी, शीघ्र ही तुम लौट आना
बिन तुम्हारे ज़िन्दगी ये, जंग से कुछ कम नहीं है
बह रहे ये अश्रु देखो , कैसे कह दूँ गम नहीं है
है यही बस कामना तुम, धूल दुश्मन को चटाना
जाओ साजन जाओ तुमको फर्ज अपना है निभाना
भार्या हूँ वीर की मैं, जानती हूँ धीर धरना
भूलकर भी पीठ दुश्मन की तरफ हरगिज़ न करना
इस तिरंगे को सदा ही नभ तलक ऊँचा उठाना
जाओ साजन जाओ तुमको फर्ज़ है अपना निभाना
पल रही जो कोख में है, प्यार की है ये निशानी
याद रह रह कर बहुत ही, आएगी अपनी कहानी
तुम विजय के बाद आकर,लाल को जी भर खिलाना
जाओ साजन जाओ तुमको फर्ज अपना है निभाना
19-02-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद