एक सर्प की केंचुली सा ही
एक सर्प की केंचुली सा ही
जिस्म अलग होता रूह से
रूह जब छोड़ती जिस्म को तो
जिस्म अलग हो जाता एक
केंचुली सा पर
एक काया सर्प सी
जिंदा रह पाती
चाहे तो बिना रूह के या
संग रूह के।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001