Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Mar 2023 · 1 min read

एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।

एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
कुछ अधूरे वचन, सौंपकर आ गए।।

कि राह में छोड़कर, तुम चले तो गए,
रास्ता पर हमें, पूर्ण करना तो था,
जिसके जीवन का कोई न आधार था,
उसकी जीवन कहानी बनानी तो थी।

इस तरह प्रेम को, ढूंढकर खो गए।
स्वप्न को छोड़कर, लौटकर आ गए।।

एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
कुछ अधूरे वचन, सौंपकर आ गए।।

जिंदगी के लिए हम जिए जा रहे,
पर हथेली में जीवन की रेखा न थी,
रात को बेचकर स्वप्न ढोते रहे,
इस तरह शून्य जीवन को जीते रहे।

भाग्य रेखा हथेली में बन जाएगी,
शून्य जीवन में गर फिर से तुम आ गए।

अभिषेक सोनी
(एम०एससी०, बी०एड०)
ललितपर, उत्तर–प्रदेश

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 151 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
Shreedhar
पलकों की
पलकों की
हिमांशु Kulshrestha
Shabdo ko adhro par rakh ke dekh
Shabdo ko adhro par rakh ke dekh
Sakshi Tripathi
ओ मेरी सोलमेट जन्मों से - संदीप ठाकुर
ओ मेरी सोलमेट जन्मों से - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
ज़िंदा हूं
ज़िंदा हूं
Sanjay ' शून्य'
*जीवित हैं तो लाभ यही है, प्रभु के गुण हम गाऍंगे (हिंदी गजल)
*जीवित हैं तो लाभ यही है, प्रभु के गुण हम गाऍंगे (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
कांटें हों कैक्टस  के
कांटें हों कैक्टस के
Atul "Krishn"
काश कभी ऐसा हो पाता
काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
जाने बचपन
जाने बचपन
Punam Pande
धड़कूँगा फिर तो पत्थर में भी शायद
धड़कूँगा फिर तो पत्थर में भी शायद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
- फुर्सत -
- फुर्सत -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
2357.पूर्णिका
2357.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी
जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी
gurudeenverma198
🌹🌹 *गुरु चरणों की धूल*🌹🌹
🌹🌹 *गुरु चरणों की धूल*🌹🌹
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
Pt. Brajesh Kumar Nayak
#अमृत_पर्व
#अमृत_पर्व
*प्रणय प्रभात*
मन की इच्छा मन पहचाने
मन की इच्छा मन पहचाने
Suryakant Dwivedi
पास ही हूं मैं तुम्हारे कीजिए अनुभव।
पास ही हूं मैं तुम्हारे कीजिए अनुभव।
surenderpal vaidya
परिवर्तन
परिवर्तन
लक्ष्मी सिंह
कुछ लोगों के बाप,
कुछ लोगों के बाप,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*
*"गणतंत्र दिवस"*
Shashi kala vyas
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
(10) मैं महासागर हूँ !
(10) मैं महासागर हूँ !
Kishore Nigam
भारत के बीर सपूत
भारत के बीर सपूत
Dinesh Kumar Gangwar
दिलों में है शिकायत तो, शिकायत को कहो तौबा,
दिलों में है शिकायत तो, शिकायत को कहो तौबा,
Vishal babu (vishu)
*तू भी जनता मैं भी जनता*
*तू भी जनता मैं भी जनता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रुके ज़माना अगर यहां तो सच छुपना होगा।
रुके ज़माना अगर यहां तो सच छुपना होगा।
Phool gufran
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
गुप्तरत्न
मैं तुझसे बेज़ार बहुत
मैं तुझसे बेज़ार बहुत
Shweta Soni
Loading...