एक सबक
बारिश होकर चुकी थी। छोटे छोटे गढ्ढों में पानी भर गया था तथा सड़कें भीगी हुईं थीं। इन सबकी परवाह न करते हुए प्रात:कालीन भ्रमणार्थी भ्रमण के लिए निकल चुके थे। अन्य की तरह बाबू कमल कान्त भी भ्रमण के लिए जाने को उद्दत हुए तो पत्नी ने टोकते हुए कहा, ‘आज न जाते तो ठीक था। बारिश का कुछ पता नहीं कब आ जाय। वैसे भी सड़कों पर कीच- काँध होगी।’ सुनकर कमल कान्त ने आकाश की ऒर देखा और बोले, ‘अभी तो बारिश बन्द है तथा अब होने के आसार भी नहीं हैं, मैं शीघ्र लौट आऊँगा। यह कहते हुए उन्होंने अपनी छड़ी सँभाली और भ्रमण के लिए निकल पड़े।
दरअसल प्रात:कालीन भ्रमणार्थिओं को एक नशा सा हो जाता है और समय होते ही वे यंत्रचालित से घर से निकल पड़ते हैं। बाबू कमल कान्त मंथरगति से निर्धारित भ्रमण पथ पर मौसम का लुत्फ उठाते हुए चले जा रहे थे तथा साथ ही अन्य भ्रमणार्थियों के अभिवादनों का प्रत्युत्तर देते जाते थे। वे अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुँच कर तथा थोड़ी देर वहाँ बैठने के उपरान्त वापस घर की ओर चल दिये।
एक स्थान पर जहाँ सड़क के गढ्ढे में पानी भरा हुआ था कमल कान्त पीछे से वाहन की आवाज सुन कर उसके दबाव से गढ्ढे के पानी के उछलने का अनुमान कर सड़क के किनारे से दूर खड़े हो गये और वाहन के निकलने की प्रतीक्षा करने लगे। उन्होंने देखा एक जीप जिस पर चार-पाँच युवक बैठे हुए थे सड़क पर मंथर गति से चली आ रही थी। शायद उनका मूड मौसम का लुत्फ उठाने का था। अचानक जीप के चालक ने गढ्ढे में पानी भरा देख कर और कमल कान्त को खड़ा देख कर जीप की गति बढा दी। जीप को गढ्ढे के बिल्कुल बीच से बड़ी तेजी से निकाल कर ले गया। गढ्ढे का गंदा पानी जीप के दबाव के कारण कमल कान्त का अनुमान ध्वस्त करते हुए उनके ऊपर आ गिरा और उन्हें बुरी तरह से भिगो दिया। जीप में बैठे युवक पलट कर भीगे हुए कमल कान्त को देख कर जोर से हँस पड़े। शायद यह उनकी मस्ती का हिस्सा था।
कमल कान्त को गुस्सा तो बहुत आया कि वे उन युवकों को उनकी धृष्टता का उचित दंड दें लेकिन मजबूरी थी क्योंकि लड़के जीप तेजी से भगा कर ले गए, वे चार-पाँच थे, हृष्ट पुष्ट और जवान थे जबकि कमल कान्त अकेले वृद्ध और कृश काय थे। दूसरे वे शांत प्रकृति के थे अतः चुप खड़े रह गये। वे कपड़ों को झटक कर उनमें लगी कीचड़ को छुड़ा कर चल दिये। कमल कान्त उन लड़कों को कोसते हुए आ रहे थे। अचानक उन्होंने देखा कि वही जीप चौराहे के निकट वाली दुकान पर खड़ी है और सभी युवक जीप से उतर कर मस्ती कर रहे हैं। उन्होंने उन युवकों को देख कर अपनी गति बढा दी। उनका उद्देश्य वहाँ पहुँच कर उन युवकों को खरी खोटी सुनाना था। तभी उन्होंने देखा कि सामने से एक भारी ट्रक आ रहा है। जैसे ही वह ट्रक जीप के पास आया उसके दबाव से पास के गढ्ढे से बरसात का गन्दा पानी उछल कर उन युवकों पर आ गिरा। उनके कपड़े कीचड़ से सन गये। यह देख कर युवकों को बड़ा क्रोध आया और वे गाली देते हुए ट्रक की ओर दौड़ने को अग्रसर हुए। जब उनकी दृष्टि कीचड़ से सने कमल कान्त पर पड़ी उनका सारा जोश ठंडा पड़ गया और वे थमक कर सिर झुका कर खड़े रह गये। कमल कान्त ने व्यंग्य पूर्वक उनको देखा और बिना कुछ कहे आगे बढ़ गये।
जयन्ती प्रसाद शर्मा