एक सफल प्रेम का दृश्य मैं बुन रहा।
एक सफल प्रेम का दृश्य मैं बुन रहा,
जीत भी न सका हार भी न रहा।।
चांद को देखना फिर तुम्हे सोचना,
चांद मिल जाएगा इतने काबिल तो हैं,
तुम भी मिल जाओगी एक दशक तक हमें,
खुद को काबिल हम इतना नहीं मानते।
प्रेम की हर कसौटी असीमित सी है,
याचना प्रेम था याचना ही रहा।।
एक सफल प्रेम का दृश्य मैं बुन रहा,
जीत भी न सका हार भी न रहा।।
लेखक/कवि
अभिषेक सोनी “अभिमुख”
ललितपुर, उत्तर–प्रदेश
E-mail– abhisheksoniji01@gmail.com