एक सपना
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी में कुछ रिश्ते ऐसे ख़ास होते हैं या कुछ ऐसे लोग मिलते हैं जो इतने ख़ास हो जाते हैं की जैसे मरते दम कभी जायेंगें ही नहीं और फिर वक़्त का एक ऐसा तूफ़ान आता है की सब कुछ अपने साथ उड़ा कर ले जाता है ,रिश्तों और इन लोगों के वायदों को ऐसा नेस्तनाबूद कर देता है की रिश्ते अंदर से मर कर केवल बाहर से जिन्दा रह जाते हैं और ऐसा लगता है की बाकी के लोग हमारी जिंदगी में आये ही नहीं थे ,एक सपना था ,आँख खुली और टूट गया …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आज की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी -ऊपरी दिखावे वाली जिंदगी में जिस तरह के संस्कार माँ बाप अपने बच्चों को देते जा रहे हैं ,वो दिन दूर नहीं है जब बच्चे अंतिम संस्कार तक के लिए समय नहीं निकाल पायेंगें ,देख लीजिये ज्यादातर जिन्होंने भी बच्चों को बाहर भेजा है वो उनकी शक्ल भी देखने को तरस गए हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की बचपन में रिश्तों में -दोस्ती में -पड़ोस में कोई लड़ाई हो भी जाती थी तो शाम तक या अगले दिन फिर वही याराना -प्यार -नोंकझोंक और समझदार होते ही अगर वापिस इन्हीं के बीच में तकरार हो जाती है तो आजकल तो शब्द इतने हलके हो गए हैं की फिर तो मुलाकात अंतिम यात्रा के समय ही होती है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की कहा जाता है की समय बड़े से बड़े घाव को भर देता है पर मुझे लगता है की हकीकत ये है की इंसान फिर उस दर्द के साथ ही जीने का आदी हो जाता है क्यूंकि वो अंधेरों में रिश्तों के इतने रंग देख लेता है की फिर उसे उजालों में देखने से परहेज हो जाता है …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“??विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान
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